गहमर : 20 दिसंबर। सैनिको की उर्वरा भूमि मे 11वें गोपालराम गहमरी साहित्य व कला महोत्सव का शुभारंभ धूमधाम से हुआ। गहमर ग्राम प्रधान बलदेव सिंह ने कला महोत्सव में लगी पुस्तक प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए ।मां शारदा के समक्ष दीप प्रज्जवलन करके कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन करके महोत्सव को गति प्रदान की। आयोजक अखंड गहमरी ने बताया की अलग अलग सत्रो मे कार्यक्रम का आयोजन किया गया । प्रथम सत्र मे जिसमे साहित्यकारो , कलाकारो का स्वागत करते हुए महोत्सव का उद्घाटन किया गया । भोजनोपरांत दूसरे सत्रो मे परिचय करते हुए सभी ने अपनी कला साधना और कार्य लेखन शैली का परिचय दिया। तीसरे चरण मे सभी ने मन की बात करते हुए साहित्यकारो ने ह्रदय के उद्गार व्यक्त किये। जिसमे धर्मेन्द्र गहमरी ने स्वास्थ्य को कैसे बेहतर रखे दिनचर्या कैसी हो यह बताया। मैहर से पधारी रश्मि श्रीवास्तव योग रश्मि ने शिक्षा नीतियो के बदलाव की पीडा को कहा जो बच्चो के लिए हितकर नही है। मंजू श्रीवास्तव ने फोटो बनाने की विशेष तरीके और महत्व पर अपने विचार रखे । छत्तीसगढ के राष्ट्रपति पुरस्कार संजय मैथिल ने जीवन मे संगीत और संगती को महत्वपूर्ण कहा ।हाथरस की महिला किसान और साहित्यकार संतोष शर्मा शान ने कहा परिवार संभालते ,किसान होने के साथ साहित्य लेखन करना आसान नही रहा मन की बात कहते हुए कहा की नारी परिवार को बना सकती है तो विनाश भी कर सकती है। ज्योति किरन रतन के मंच संचालन मे श्री पाल शर्मा ने सरवहितकारी लेखनी लिखिए रह कहा। भगवती प्रसाद बेधड़क,नन्दलाल त्रिपाठी ,डा प्रेम शंकर दिवेदी भास्कर, प्राची खंडेलवाल ने जीवन मे धन संचय के महत्त्व को कहा , डां नवीन मौर्या फायर बनारसी ने डाक्टरो की मनमानी पर बात कही, कौशल किशोर, ज्योति कुशवाहा, विनय दूबे, रमा शुक्ला सखी , सुनील दत्त मिश्र, कमलेंद्र शुक्ल दुर्वासा, ओम जी मिश्र, सहित तमाम गणमान्य साहित्यकारो ने अपने मन की बात कही । सायंकालीन सत्र मे साहित्यकारो की पुस्तक भगवती प्रसाद मिश्र बेधड़क की पुस्तक "बेधड़क हुनडलियां", अखंड गहमरी की पुस्तक "मन का मुसाफिर", शिवानंद चौबे की पुस्तक "गीताभावानुवाद", प्रतिमा की "नव पल्लव एक नया सवेरा", डा प्रेम शंकर दिवेदी भास्कर जौनपुर की पुस्तक साक्षी का विमोचन किया गया ।

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