कब टूटेंगी निंद्रा-कुंदन पाटिल

हिन्दू हूं 

हमेशा की तरह 
मैं सोया था 
और एक आवाज आई! 
जागो हिन्दूओं जाग जाओ।
निद्रा गहरी थी 
पर इस बार जगाने वाला 
एक युवा संन्यासी था।
कुछ मन मस्तिष्क में 
तब हलचल हुई 
फिर मैंने सोचा
हमेशा की ही तरह 
काफी हिंदू जाग चुका है 
काफ़िला भी बहुत बड़ा हुआ है 
मेरे अकेले न जागने से 
कोन सी भीड़ कम होनी है 
क्या ही फ़र्क पड़ना है!
फिर क्या था 
संत जागो हिन्दूओं जाग जाओ।
का जय घोष कर 
आगे बढ़ते गये 
उनके पेर में छाले 
तन मे थकावट थी 
पर मुझे क्या 
मैं  फिर हमेशा की भांति 
फिर सो गया 
अपनी कुम्भकरणी निंद में 
संतों के वचनों को 
नज़र अंदाज़ कर 

कुंदन पाटिल 
129, नयापुरा मराठा समाज देवास मध्य प्रदेश 
मोबाइल नंबर 9826668572



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ