ठीक से मेरे साथ पेश नहीं आए अखंड गहमरी- कौशल किशोर

11वां गोपालराम गहमरी साहित्‍य महोत्‍सव संस्‍मरण 
ग्यारहवें गोपाल राम गहमरी साहित्य एवं कला महोत्सव २०२५में शिकरत करना बहुत अच्छा लगा और वहां सभी साहित्यकार लेखक, कवि और कवयित्री से मिलकर भी अच्छा लगा। सबसे आनंदित करने वाला वो गंगा भ्रमण और परिक्रमा लगा। साथ ही माता कामाख्या का दर्शन और उनके परिसर में काव्य पाठ कर मां का प्रसाद ग्रहण करना बहुत अच्छा लगा।एक कवयित्री का जलपात्र मेरे पास चला आया मैं दो बार उन्हें दिया रास्ते में लेकिन नहीं लिया कहा रखने की जगह नहीं है। मैं दोपहर में ही अतिआवश्यक कार्य पड़ जाने के कारण लौट आएं और याद भूल गए इस लिए उनके सामान सुरक्षित है मेरे पास। अगले बार मिल जाएगा उन्हें।अखंड प्रताप जी को बहुत बहुत बधाई जिन्होंने अपने खर्च पर आयोजन किया और खाने पीने की उतम व्यवस्था किए।साथ में उनके सहयोगी को भी बधाई। क्षेत्र की विधायिका को कोटि कोटि प्रणाम जिन्होंने बहुमुल्य समय निकाल कर हम लोगों की पुस्तक की लोकार्पण किया। एक बात कहना चाहता हूं कि एशिया का सबसे बड़ा गांव और तिलस्मी उपन्यासकार गोपाल राम गहमरी जी की कृति को और भव्य रूप से मनाया जाए। उतने बड़े गांव में अकेले अखंड प्रताप भाई को जुझते देखा। अगर ऐसी बात है तो लोगों से सहयोग लेकर भव्य आयोजन करें। दूसरी बात कि दोपहर तक अखंड प्रताप भाई को बहुत परेशान देखा और मैं ग्यारह तीस में पहुंच गए थे। पहली बार गये थे पहचान किसी से नहीं थी। वो बिजली बती के काम में मशगूल थे। मैंने उनसे कुछ पूछा तो, लेकिन ठीक से मेरे साथ पेश नहीं आए। कुछ अजब-गजब बात बोल दिया। मैं समझा कोई बिजली मिस्त्री होंगे। लेकिन वो खुद अखंड प्रताप भाई थे। चलिए वो सब होते रहते हैं काम का प्रेशर था उन पर। उनके घर के सभी सदस्य बहुत अच्छे थे। उनके पिता जी के साथ बैठकर मैं आधा घंटे का समय दिया और वो आवाज़ से पहचान गये कि हम पटना से हैं। मुझे लगा कि अखंड प्रताप भाई को पुराने साहित्यकार लेखक, लेखिका हैं उसी में उलझे रहे और नये जाने वाले साहित्यकार के प्रति उनके रुचि और ध्यान नहीं रहा जो हमें ठीक नहीं लगा। जब आपके पास पहले से सभी का लिस्ट था और अपनी भागीदारी सुनिश्चित करा रखा था तो वहां बदल कैसे गया। आप इतने बड़े साहित्यकार उपन्यास लेखक का कार्यक्रम करा रहे हैं और आपके गांव के मात्र एक दो लोग साथ दे रहे हैं तो ए भी हमारे समझ से बाहर की बात रही। जिस गांव में बीस हजार मौजूद सैनिक बीस हजार करीब रिटायर सैनिक हों वहां का इतनी फीकी आयोजन नहीं होना चाहिए। अगर जितने बड़े गांव है दस रुपए भी सहयोग करें लोग तो एक बहुत बड़ा मंच और बहुत सारे लोग जा सकतें हैं लेकिन यह व्यक्तिगत आयोजन जैसा लगा। और कुछ खास नहीं लगा ये तो एक व्यक्तिगत मिलन समारोह जैसे कि पहले से लोग आ रहे हैं उनसे मिला गया। आपको इस तरह का आयोजन कराने की हार्दिक इच्छा दस साल से हैं तो इसे भव्य और आकर्षक बनाने का प्रयास करेंगे। चलिए फिर भी सब ठीक-ठाक हुआ। और मैंने अपनी बात को रखा तकलीफ़ नहीं मानेंगे।

डॉ कौशल किशोर साहित्यकार सह लेखक, पटना, बिहार 
62069 92805



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ