बाल कविता- तितली रानी व जन्‍मदिन -पूनम दीक्षित

कितनी प्यारी तितली रानी 

 हरदम करती है शैतानी । 

इधर -उधर है उड़ती रहती 

करती बस अपनी मनमानी। 


रंग बिरंगे पंख निराले

मन को मोहित करने वाले।

जब भी पकड़ो यह उड़ जाती

दूर पहुंँचकर है इतराती । 


फूलों पर रहती  मंडराती

रस सारा है यह पी जाती । 

बहुत मुलायम कागज जैसे

पर हैं इसके पकडूंँ कैसे । 


देख - देख राधा हर्षाती

मोहन को आवाज लगाती ।

आ जाते हैं  शुभि औ मोहित

देख रहे होकर उत्साहित। 


बाल कविता -* जन्मदिवस 


जन्मदिवस बेटे का आया 

घर में उत्सव सा छाया । 

दादा-दादी, ताऊ-ताई

सबने हैं खुशी मनाई । 


सुबह से ही सब हो गये व्यस्त 

गर्मी से सभी थोड़े त्रस्त । 

आइस्क्रीम है तब मँगाई

सबने मिलकर फिर खाई


मौसीजी भी तो आयी हैं 

 उपहार संग लायी हैं । 

चरण स्पर्श सभी के मैं करता 

सभी से आशीष मिलता  । 


 अनोखा उपहार मुझे मिला 

  पापा संग  मैं तो चला । 

 पहुँच गया हूँ मैं स्पेस सिटी 

  साथ मैं हैं मेरे किटी। 


यह तो बहुत सुंदर जगह

लगती है  अंतरिक्ष तरह । 

मामा ने कार है दिलाई

मैंने सभी को है दिखाई ।


पूनम दीक्षित 

 ज्वाला नगर रामपुर उत्तर प्रदेश
92670 40895




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