प्यारी हिंदी-स्मृति कुमकुम

 हम सब के माथे की  बिंदी

हिन्द देश में प्यारी हिंदी।


रसों की बात हो 

शब्दों के बाण हो


 चंचल -चपल  सा

हिरनी की  चाल हो


कला-संगीत या

महबूब का हाल हो


महबूबा के आंसूं और

बयाने संसार हो


 आँखों की मस्ती

 के पैमाने लाख हो


क्रोध -करुण युद्ध

 राग-द्वेष शुद्ध-शुद्ध


क्लेश-योवन या  बाल-ब्रिध्ह

जीवन-दर्पण नीति-सिधांत


मनमोजी या शाषण या 

नेता जीका  भाषण


सबकुछ में जो डाले जान

हम सब की आन और शान


ना तुम समझो इसको भिंडी

सभ्यता ये पनपी सिंधी।


हम सब के माथे की बिंदी

हिन्द देश मे प्यारी हिंदी।


(कविता) हिंदी दिवस पर 


गिट -पिट अब करें,हाय हेलो सब बोलें

भूल गए सम्मान ,हाथ को ही जोड़ना।


रस भाव जहाँ मिले, प्रेम धार मिल गले,

देश हो विदेश में भी, गर्व हिंदी बोलना।


हिंदी का प्रचार करें,शुद्ध मन विचार करें

देवलोक संस्कृति,अच्छा नहीं छोड़ना।


एक दिन याद कर हिंदी दिन मनाकर

भाव भरे हिंदी हिय,ऐसे नहीं तोड़ना।


स्मृति "कुमकुम"

पटना,बिहार

मो. 7903930649


स्मृति कुमकुम

पटना बिहार

Mo.7993930649



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