चाँदनी रात में-किरण

चाॅ॑दनी रात और 
रत्न-जड़ित आकाश
सिर्फ तेरी याद 
खींचती है बरबस 
अतीत की ओर 
ढ़ूँढने एक छोर
जिसका एक सिरा
पकड़ा है आजतक
छूटा उस रोज
चांदनी रात में 
निखरा था चाॅ॑द 
वसुधा पर यौवन 
छाया था खुमार
लहरों पर उतरा 
चाँद का बिम्ब 
झलका था जिसमें
तेरा ही प्रतिबिंब 
चंद्र धरा का 
देख अनूठा मिलन
दिल में कहीं 
मीठी सी चुभन 
लहरों ने छेड़ी 
गीतों की सरगम 
मिले थे कभी 
यहीं तुम हम


----किरण बाला ,चंडीगढ़



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