गहमर : 21 दिसंबर । सैनिको की उर्वरा वीर भूमि गहमर मे आयोजित दो दिवसीय 11वे गोपालराम गहमरी साहित्य व कला महोत्सव हुआ विदा। आयोजक अखंड प्रताप सिंह ने बताया की महोत्सव के दूसरे दिन पहले सत्र मे समस्त अतिथियो को मां गंगा के पावन जल मे स्नान कराने के लिए नदी घाट पर ले जाया गया ।जहां मां का स्तवन करके सबने स्नान करके नौका विचार करते हुए गंगा की परिक्रमा की। दूसरे सत्र मे माता कामाख्या के दर्शन पूजन किया गया जहां पर सभी ने अपनी - अपनी रचनाओ का पाठ किया। मां कामाख्या दरबार के महन्त के द्वारा सभी को चुनरी उढाकर सम्मानित किया गया। अगले सत्र मे मां कामाख्या इन्टर कालेज के परिसर मे डा.प्रेम शंकर द्विवेदी 'भास्कर' -सच्चा तीर्थ, प्रतिमा यादव - फुटपाथ पर पड़ी एक लाश,
मंजू श्रीवास्तव - भाभी माँ
सन्तोष शर्मा शान- न्याय
सुनील दत्त मिश्र- यात्रा सुनील दत्त ने स्वरचित। कहानी का पाठ किया गया। अपराह्न के बाद चर्चा को आगे बढाते हुए हिन्दी की दुर्दशा पर वक्ताओ नन्दलाल द्विवेदी ,मंजू श्रीवास्तव ने कहा की अखबारो मे हिन्दी को बहुत संघर्ष करना पड रहा फिर भी अखबार हिन्दी के ही बिकते है , संतोष शर्मा शान आकाशवाणी मथुरा मे हिन्दी दिवस के पखवाडे की बात की , ज्योति किरन रतन ने कहा स्कूलो मे हिन्दी एक पखवाडे तक सीमित रह गया है। मुख्य अतिथि संजय शुक्ला ने कहा की हिन्दी के प्रचार-प्रसार के सरकार की कथनी और करनी मे बहुत अंतर है। आज सरकार हिन्दी पखवारें एवं सेमिनार के नाम पर हमारे करोड़ों रूपये बर्बाद कर देती है । मगर जब हिन्दी में हम काम कराने जाते हैं तो हमें तिरस्कार का सामना करना पड़ता है।
श्रृंखला के बढते चरण मे सायंकालीन संध्या मे आमंत्रित कवियो ने अपनी रचनाओ के पाठ से महोत्सव को समापन के उत्कर्ष पर पहुंचाया। इस प्रकार 11वा गोपालराम गहमरी साहित्य व कला महोत्सव सम्मान समारोह ने अगले वर्ष आने के वादे के साथ विदा ली।

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