पावन गंगें - नीलम श्रीवास्‍तव

रचनाकार संख्‍या - 67


 


पुण्य पुनीत ओ  पावन  गंगे!
कोटि नमन करूँ विमल तरंगे!


हिमगिरि नंदिनि, शिव जट वासिनी
जग अघ हारिणि, मोक्ष  प्रदायिनी


शंकर  प्रिया  शिवा संग शोभित
हर्षित, पुलकित, विश्व विमोहित


सुरसरि , देवनदी , मंदाकिनी
विष्णुपदी ,तिहुँलोक प्रवाहिनी


विस्तृत उज्ज्वल अंचल माँ का
लहराता  ज्यों  विजय  पताका


दूषित, कलुषित ,धूमिल मत हो
जन- जन का संकल्प विनत हो।


डॉ नीलम श्रीवास्तवा


शिक्षिका


गोपालगंज बिहार



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