मेरा प्यार - स्वर्ण ज्योति पांडिचेरी

प्रेम फरवरी


सीप में छिपी मोती की मानिंद है 
मेरा प्यार
किनारे की रेत में खो न देना


होंठो पर दबी खिली मुस्कान है 
मेरा प्यार
ठहाकों की भांति गूंजने न देना


समय की धुरी में हर लम्हा है
मेरा प्यार
जिंदगी की राह में व्यर्थ गवां न देना


मानस की चौपाई सा गम्भीर है
मेरा प्यार
लावणी -सा मदमस्त बना न  देना 


पूजा की थाल में दिए की लौ है
मेरा प्यार
धधकती जलती ज्वाला  बना न  देना 


मिल जाए तो मुकद्दर की तारीफ़ क्या
न मिले तो जीने की आस जगाए रखे 
मेरा प्यार....


स्वर्ण ज्योति
पांडिचेरी


 





 



 



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