हम हैं दिवाने- विक्रम क्रांतिकारी

प्रेम फरवरी


वाह  रे  वाह  आज के दौर  का अजीब इस्क 
हो सके तो इश्क़ इसी दरमयान किया जाये
देखो ना कैसे चाल  चले इक्सवी दशक का इस्क 
पल मे हो जाता यहाँ  इस्क  देखकर हैसियत 
काश  मुझसे भी हो किसी को   इस्क निश्वार्थ 


सब  कर रहे हैं मोल -तोल आज के दौर  मे 
मुहब्बत बड़ी महँगी है आज कल के दौर में
यूँ ही आज़मा कर क्यों नुकसान किया जाये
सब  हैं  अब जागरुक  हो गए होसियार  अब 
बटुए में नहीं अब कार्डों में वजन दिखता है


इक्सवी  दशक के इस्क  मे सब  हैं होसियार हैं 
कमा कर कार्ड खुद का सम्मान किया जाये रे 
वाह  रे वाह इस्क  किस कदर तेरा  वजुद घटा 
अब मानव -मानव मे  देख  ओ प्यार  ना रहा हैं 
सब करते मोल -भाव रे आखिर  देख इस्क का हाल 



पल मे बदल  ले पाला  रे आज  के इस्क -प्यार 
मेरा देख  बच्चे सी तनखा उनके खर्चे शाही जैसे 
डबल शिफ्ट से पूरा हर अरमान किया जाये रे 
वाह रे वाह देख   इक्सवी दशक के इस्क -प्यार  रे 
अब  ना हैं आदर  प्यार -इस्क  मे जो पहले  था  रे 


कभी हुआ  करता था राधा  - कृष्ण  वाला भी  इस्क 
और  मिरा जैसा  चाहत और सुदामा जैसी दोस्ती रे 
दौर गुज़र गये  ओ अब  खुद को खतों में लिखने के
कितना बदल गया  इस्क -प्यार  तेरा  वजुद आज रे  
अब इंटरनेट पर ही दर्द बखान हो जाता पल -भर  मे 



इक्सवी के हम हैं दिवाने करते प्यार  देख  कर हैसियत 
उनको जान कहना तो अब पुरानी बात हुई देख  इस्क 
अंग्रेजी में न कहो तो अपमान किया जाये आज ये हैं इस्क 
सब  इंटरनेट  से खोज  रहे इस्क -प्यार  देख के चेहरा  रे 
अब ना देखते दिलो  को अब देख रहे हैसियत वाह रे  इस्क 


बदलने लगा  हैं अब प्यार -इस्क  की बयार रे  कवि विक्रम
बैंकों की देनदारियाँ और किश्तों में प्यार-इस्क  हो रहा हैं 
और कैसे ज़िन्दगी को हलाकान किया जाये सब देख  रहे हैं 
अब देखा  जाता हैसियत  और  चेहरा  ना रहा अब ओ इस्क 
गीर  गया आज के दौर  मे इस्क कर ले  इसी दौर में तु  भी  इस्क
कवि विक्रम क्रांतिकारी (विक्रम चौरसिया) 
पता- कैमूर 821101 / दिल्ली विश्वविद्यालय / आईएएस aspirant
9069821319


 




 



 



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