ग़ज़ल
चरणों का इक दास भी होना मँगता है
कुछ तो अपने पास भी होना मँगता है
अल्लम गल्लम बहुत भर लिया झोली मेंं
अब थोड़ा सा ख़ास भी होना मँगता है
काजू और बादाम रखे हैँ प्लेटों मेंं
हाथों मेंं अब ग्लास भी होना मँगता है
काँपते हाथों से क्या क्या कर पाओगे
ज़ीवन मेंं कुछ पास भी होँना मँगता है
पतझड़ ही पतझड़ अपने ज़ीवन मेंं
ज़ीवन मेंं मधुमास भी होँना मँगता है
मीरा राधा रुकमणि सब आ गईं यहाँ
व्रन्दावन मेंं रास भी होना मँगता है
ऊपर वाला पार लगायेगा तुमको
इतना तो विश्वास भी होना मँगता है
जिन गुनाहों की सज़ा मिली है तुमको
उन सब का एहसास भी होना मँगता है
कब तूफ़ान मचेगा अपने ज़ीवन मेंं
इसका कुछ आभास भी होना मँगता है
राम नें फ़िर से जन्म लिया है धरती पर
अब के फ़िर बनवास भी होना मँगता है
जानें क्या क्या हज़म कर गये नेता जी
अब तो इक उपवास भी होना मँगता है
कौन किसी को याद रखेगा पारस जी
अपना इक इतिहास भी होना मँगता है
डॉ रमेश कटारिया पारस
ग्वालियर
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