20-21 दिसम्बर 2025 गहमर यात्रा और साहित्यिक,सांस्कृतिक आयोजन एक अविस्मरणीय कवि सम्मेलन/आनंद बिहार रहा|एक से एक अनोखे व्यक्तित्वों का संगम देखा भोगा गया जहाँ वहीं सिरफिरों से भी मुलकात अच्छी लगी|जीवन का एक सुनहरा एहसास रहा यह समारोह| मैं कवयित्री रमाशुक्ला' सखी' (64)पटना से एक साहित्यिक मित्र (श्रीपाल शर्मा)जी के साथ गहमर की यात्रा पर थी| बक्सर में गाड़ी बदलनी थी| बक्सर स्टेशन पर हम दोनों उतरे जहाँ से बिभूति एक्सप्रेस में आगे की यात्रा करनी थी| बिभूति एक्सप्रेस के बक्सर में मात्र 2 मिनट रुकने की जानकारी पहले से थी |गाड़ी आती दिखी मैंने श्रीपाल जी से कहा भाई साथ ही चढना रात्रि में मुझे यात्रा में आपका सहारा है उन्होंने बिना कुछ कहे अपने सामान के साथ मुझसे दूरी बना ली और लम्बे डग भरते भागने लगे वहाँ से मैं उन्हें पुकारती रही अरे! आप जा कहाँ रहे? पर कोई जवाब नहीं दिया उन्होंने गाड़ी आ गई मैं घबरा गई एक पल के लिए मैं विचलित हुईं फिर तुरंत भारी बैग के साथ किसी तरह गाड़ी पर चढी|श्री पाल को कई फोन लगाए फोन नहीं उठाया उन्होंने आगे क्या होगा?इन्होंने ऐसा क्यों किया मेरे साथ? सोच में पड़ी मैं कैसे पता चलेगा गहमर स्टेशन कि एक करीब 10 वर्ष का लगने वाला बच्चा मेरे पास आकर रुका मैं सतर्कता से उससे पूछा बेटा! तुम किसके साथ हो कहाँ जाना है आपको उसने कहा मैं नानी, नाना अपने पापा और बहन के साथ हूँ गहमर जाना है मुझे मैं चिंता मुक्त हुई अब तक उसके पिता आचुके थे मुझसे बोले मैं आपको गहमर में उतरवा लूंगा अकेले रात्रि यात्रा कोई परेशानी है क्या माँ जी! मैंने कहा नहीं एक कार्यक्रम है मेरे साथी इसी गाड़ी में दूसरे डिब्बे में हैं गाड़ी रुकी बातें खत्म सब उतरे उन्होंने मेरा बैग भी प्लेट फार्म पर रखा और नमस्ते कर चले गए| 2 मिनट में ने देखा श्री पाल कहीं नजर नहीं आए तो मैंने पुत्रवत अखण्ड गहमरी!

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