मोरी शारद मइया" ----डॉ उमेश कुमार पाठक 'रवि'

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तहरा दुअरिया भइनी ठाढ़, मोरी शारद मइया।


तूरि-तूरि बगनिया से फलवा ले अइनी हम,
रोरी ले अइनी, गुललवा ले अइनी हम,
ले अइनी केरवा के डाढ़, मोरी शारद मइया।


बइरि आ गजरा के भोगवा लगवले बानी,
दिल का कोठरिया नेह कुसुम सजवले बानी,
भक्तन के नइखे एइजा आर, मोरी शारद मइया।


हमनी बलकवन पर किरिपा पसारी माई,
एगो धुन मंगल के हँसि के उचारी माई,
फुलवा के लेले बानी हार,मोरी शारद मइया।


एइजू आतंकी सब डंका बजवले हो,
सुंदर भारत के लंका बनवले हो,
पपिअन के करअ आके छार, मोरी शारद मइया।


जयचन्द नेतवन से धरती सिहरि गइली,
लूट खसोट आ घोंटालवा बिफरि गइली,
दुर्गा रुप धइ करअ संहार, मोरी शारद मइया।


मन अँधियार जोती,जगमग जराईं माई,
अपना चरण-रज 'रवि' ममता बढ़ाईं माई,
झर-झर झरे हरसिंगार, मोरी शारद मइया।


---विश्वामित्र कॉलोनी, चरित्रवन, बक्सर, बिहार -802101
मो नo 8825211125


 



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