देखो बसंती हवाओँ ने डेरा डाला है
फिजाओं में मुहब्बत का किया उजाला है।
संदेश वो प्रेम का लाया है।
तुम कहो बसंत तब आया है
महक उठे जब डाली डाली
कोयल गाए होकर मतवाली।
महुआ फूल उठे पेड़ों पर
भंवरे झूला झूलें फूलों पर ।।
बन के प्यार वो छाया है
तुम कहो बसंत तब आया है।
घटा लगे ना काली काली
मिट जाए सर्दी की फुहारी
मंद पवन के जब झोंके आए
प्यार का हमको पाठ पढ़ाएं
हर घर में दस्तक दे आया है
तुम कहो बसंत तब आया है
गुलशन की कलियाँ भी महके
पेड़ों पर चिड़ियाँ भी चहके
आंखें में प्रेम गीत मुस्कराये
प्रिय मिलन को बाहें लरजायें
जब मौसम तुम्हें लुभाया है
तुम कहो बसंत तब आया है।।
शब्द शब्द में जब राग ढले
वीणा के स्वर में साज सजे।।
हंस वाहिनी बैठ हंस पर
कृपा करें हर इक जन पर।
देख ऋतु मन इठलाया है
तुम कहो बसंत तब आया है।
रेखा ओम दुबे
विदिशा।
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