वर दे माँ -शुचि 'भवि

रचनाकार संख्या -83


 


कर दे,  कर दे, कर दे माँ
हमपे कृपा कर वर दे माँ


सच  कहने  की  ताक़त  से
ज़ेह्न-ओ-दिल को भर दे माँ


तोड़ दीवारें मज़हब की 
हर दिल पावन कर दे माँ


उत्तम ही उत्तम लिख लें
 ऐसे सृजन का वर दे माँ


अंतस से निकले हरदम
सबको ऐसा स्वर दे माँ


काया हो या हो माया
मुक्त सभी से कर दे माँ


'भवि' बंधन चाहेगी कैसे
आँचल बस का घर दे माँ


शुचि 'भवि'
भिलाई,छत्तीसगढ़


 



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