साहित्य सरोज साप्ताहिक आयोजन क्रम -10 में द्वितीय स्थान प्राप्त
(01) सोमवार और मंगलवार
( कविता/गीत/दोहे)
शीर्षक -योग दिवस
पांच तत्वों से निर्मित तन के ढांचे का
यदि करना चाहे हम सब उद्धार।
सिर्फ और सिर्फ एक योग ही मित्रों!
आज जगत उन्नति हेतु आधार।
दूर करेंगे रोग तन और मन से
नित्य करें मिल योग प्रसार।
स्वास्थ्य यदि है अच्छा सबका
इसमें ही छुपा प्रगति का सार।
सूर्योदय से उठकर पहले ही
ले लें , ऊर्जा जो मिले अपार।
होगी फिर सदा निरोगी काया
शक्ति का सदैव होगा संचार।।
खान- पान करें विवेक से और
इसकी प्रकृति का रखना भान।
पानी और हवा न प्रदूषित हों
इस बात का ,करें जगत प्रचार।।
इन सबको अपना कर ही बस
जीवन जीने का पा लें सब सार।
योग , प्राणायाम और आसन ही
हैं बस इसका एक मात्र आधार।
योग दिवस के सही अर्थ को
आओ मिलकर सभी,करें साकार।
पुनर्स्थापित कर क्षीण मनोबल
रोगों से मुक्ति, पाए समस्त संसार।।
सीमा "शर्मा तमन्ना" ✍️
नोएडा उत्तर प्रदेश
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