आकांक्षा दता

 लघुकथाएं 

1


इंतज़ार 


 सरला  ने अपने पांच साल के बेटे को आवाज लगाई। अरे बेटा मूंगफली के दाने और पानी वाला बर्तन ले आओ। एक हाथ में दाने और दूसरे में पानी का बर्तन लिए रवि तुरंत आया। लो माॅं ,अब हम इंतजार करेंगे।

वो जरूर आएगी। सरला  की सहेली रेखा ने पूछा किस का इंतजार कर रहे हो।  सरला ने गर्व से कहा ," हम पशु -पक्षियों को खाने पीने की वस्तुएं देते हैं।मेरा रवि तो बहुत दयालु है।‌ हमारी बालकनी में एक गिलहरी आती है । रवि रोज उसे मूंगफली के दाने देता है। अब समय हो गया है वो आती ही होगी।

   इतने में  कमरे में से सरला की सास की‌ आवाज आती है "बहू खाना‌ तैयार हो गया क्या? मुझे भोजन के बाद समय पर दवाई भी लेनी है।

  सरला ने बेरहमी से कहा,"आप थोड़ी देर इंतजार नहीं कर सकती क्या?  गिलहरी को अपना भोजन करने दो पहले। मुझे उस की फोटो भी लेनी है। 

  रवि की दादी  ठंडी सांस लेकर कुछ बड़बड़ाते हुए कमरे में जाकर बैठ गई।

दूसरी ओर माॅं और बेटा निश्चिंत हो कर गिलहरी का इंतजार कर रहे थे।




2


शीर्षक.. प्रतिबिम्ब


   15 साल की रूही पारिवारिक उत्सव के लिए तैयार होने के लिए आईने के सामने खड़ी हुई। वो अपने चेहरे के प्रतिबिम्ब को घूर रही थी।  अचानक परिवार के सदस्यों और मित्रों के कहे शब्द कानों में तीर से लगने लगे जो वो अक्सर सुनती थी। " अरे रूही इतने ढ़ीले -ढ़ाले कपड़े क्यों‌ पहनती हो ?" अरे तेरे चेहरे पर इतने मुंहासे कैसे आ गए?  तू तो इतनी पतली दुबली किकड़ी‌‌ है कि एक दिन पक्का तेज हवा में उड़ ही जाएगी।जरा ध्यान रखा कर अपना।

    रूही ने सिर झटका और माॅं से पूछा," मैं आप का काजल ले सकती हू्ॅं।" माॅं से पहले चचेरे भाई आर्यन ने तंज करते हुए कहा " तेरा तो काजल लगा कर भी कुछ नहीं होगा।"  दूसरी आवाज मायरा‌ की आयी, अरे चिंता किस बात की ,फिल्टर लगा कर तस्वीरें ले लेना।"

 तभी रूही  की माॅं ने काजल की डिबिया में से काजल लेकर उसके कान के‌‌पीछे लगाया और बलैया लेते हुए कहा "मेरी रूही अंदर -बाहर से  अति सुंदर है।‌

    यह सुनते ही गर्दन सीधी और सिर ऊंचा करके  रूही मीठी आवाज  में बोली ,अरे  आओ सभी सेल्फी  लेते‌ हैं वो‌ भी फिल्टर के बिना। समझे!



यह लघुकथाएं मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं।






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