साप्ताहिक लेखन- 01
मौसम ने फिर करवट बदली है
धरती ने श्रृंगार नया सजाया है
प्रेम का नया संदेशा लेकर
ऋतुराज फिर आया है।
वसुंधरा ने ली अंगड़ाई
वन - उपवन में बहार छाई है
नन्हीं - नन्हीं कोमल कोंपल
खुशबू बिखेरती अमराई है।
हर तरफ गुंजन भ्रमर की
हर सुमन पर तितली मंडराई है
हरितिमा की चुनर लेकर
वसंत फिर आया है।
छंट रही बदली निराशा की
आशा की एक नई किरण आई है
प्रेम,करुणा,उत्साह,उमंग की
एक नई भोर आई है।
सफल पथ के नव सोपानों का
आगाज नया आया है
नव वसंत फिर आज नया
सुंदर संदेशा लाया है
मौसम ने फिर करवट बदली है
धरती ने श्रृंगार नया सजाया है
प्रेम का नया संदेशा लेकर
ऋतुराज फिर आया है।।
आशा झा सखी
जबलपुर ( मध्यप्रदेश)
94258 66945
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