हिस्ट्री टेक्स्ट बुक अथवा दूरदर्शन के ऐतिहासिक धारावाहिकों में आपने मुगल काल और गांधी जी युग की ढेर सारी क्रांति, विरोध और संघर्ष के बारे में पढ़ा और सुना होगा।किंतु आज हमआपको कुुछ महत्वपूर्ण डिजिटल क्रांतियों से परिचय करवाने जा रहे है।
(1) बिछौना क्रांति- अब तक की समस्त क्रांतियों में अमूल चूल परिवर्तन वाली यह विशिष्ट बौद्धिक क्रांति उस समय उत्पन्न हुई जब हर हाथ में मोबाइल और डेढ़ जीबी डाटा उपलब्ध हुुआ।इस क्रांति की वजह से घर में बिछौना पर लेटे-बैठे भगत सिंह, सुभाष चन्द्र, दयानंद सरस्वती,विवेकानंद,चाणक्य, मिर्जा गालिब,कबीर,गाँधी,गोडसे का डिजिटल अवतार सोशल मीडिया पर ना सिर्फ थोक के भाव में उत्पन्न हुए है बल्कि रक्त बीज की तरह हर क्षण हो भी रहे है।ज्ञानप्रद उपदेश,भावनात्मक पंंक्ति, शेरो शायरी आदि उपयोगी उत्पादन के अलावा बिना रक्त पात के जुबानी जंग और वैमनस्य विचारधारा की उत्पत्ति बिछौना क्रांति की प्रमुख विशेषताएं है।
(2) निंदा क्रांति- यह आंदोलन सोशल से सोशल मीडिया तक परवान पर है।इस आंदोलन में आप किसी भी देश व्यक्ति या शासन-प्रशासन की निंदा एकल या समूह में कर सकते हैं। निंदा क्रांति फेसबुक,ट्वीटर और अखबार के पेज तक सीमित रहती है।
(3)मोमबत्ती क्रांति- इन दिनों यह आंदोलन भी खूब प्रचलन में है। यह क्रांति समसामयिक घटनाओं के पश्चात उत्पन्न होता है। सरकारी नीति,शोषण,बलात्कार आदि त्वरित घटनाओं के विरोध में चंद मानवबल के साथ मोमबत्ती जलाकर,पुतला दहन कर अथवा मशाल जुलूस निकालकर चंद उदघोषित नारों के साथ इस क्रांति को अंजाम दिया जाता है।
(4) बंद क्रांति- व्याप्क रूप से अखिल भारतीय या राज्य स्तर पर मनाया जाने वाला यह इकलौता रिवोल्यूशन है।इस क्रांति को आयोजित करने का कॉपीराइट घरेलू पार्टी से लेकर राष्ट्रीय पार्टी के नेताओं के पास होता है।यदा-कदा जातिगत समुदाय भी इसको आयोजित कर लेते है। आरक्षण,मंहगाई,निजीकरण,बेरोजगा री टमाटर,दाल,प्याज़,पेट्रोल आदि बंंद क्रांति का राॅ मैटेरियल है।आयोजक राजनैतिक पार्टियों को सत्तू,चाय,गुटखा के निवेश पर क्रांति को संचालित करने हेतु 4-6 घंटों के लिए टायर,बैनर-लाठी से सुसज्जित क्रांतिकारी सरलता से प्राप्त हो जाता है।यदि दारु-मुर्गा बिरयानी की व्यवस्था हो तो क्रांतिकारी बंद के दौरान ओवर टाइम करने को भी तत्पर रहते हैं।एकदिवसीय बंद क्रांति चौक-चौराहो पर आगजनी,रेलवे ट्रैक पर धरना (कुछ विशेष परिस्थितियों में रेलवे ट्रैक को उखाड़ देना),बस में तोड़ फोड़, आगजनी, दुकान लूट ,सरकारी संपत्ति की क्षति आदि के पश्चात स्वतः समाप्त हो जाता है।
(5) फाॅरवर्ड क्रांति -यह क्रांति मू लतः व्हाटसएप,फेसबुक आदि पर प्रचलित है।जिसमें धृतराष्ट्र क्रांतिवीर द्वारा साहित्यिक पुस्तकों एवं प्रमाणों से इतर अज्ञात उत्खनन से ज्ञात धार्मिक,राजनैतिक, एतिहासिक ज्ञान को बिना पढ़े, समझे और विचारे किसी समूह में अथवा व्यक्तिगत रूप से अग्रसारित किया जाता हैं।
(6)सेल्फी क्रांति - सेल्फी क्रांति वर्तमान की सर्वाधिक लोकप्रिय महान क्रांति है।सोशल मीडिया पर 24×7 ऑनलाइन उपलब्ध रहने वाले स्त्री-पुरुष,नेता-अभिनेता,
लेखक-संपादक,वृद्ध-युवा आदि सभी वर्गो के फेफड़ा में प्राणदायिनी ऑक्सीजन हो ना हो लेकिन लाइकदायिनी सेल्फीजन निर्बाध रूप से फिल्टर होता रहता है।मेकअप प्लस एप्प के माध्यम चेहरे पर मेकअप पोत गरूड़ चोंच की मुद्रा में पाऊट बनाती स्त्रियां,जरूरतमंदों में आधा दर्जन केला का वितरण करता हुआ समाजसेवी,शादी से श्राद्ध के अवसर पर दूल्हा से मुर्दा के साथ उपस्थित परिजन, रनिंग ट्रेन में लटककर ,पहाड़ बिल्डिंग की चोटी चढ़ कर,नदी की धार के बीचोबीच जोखिम वाले स्थानों पर फोटो खिंचाने को आतुर सिकंदर इस क्रांति के क्रांतिवीर है।टिकटाॅक,मौज आदि एप्प पर हजारो नर्तकी,गायक,मसखरी बाज क्रांतिकारी विभूतियां सेल्फी क्रांति को जीवंत रखने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
(7)संदेह क्रांति- इस क्रांति का जन्मदाता क्राइम पेट्रोल,सावधान इंडिया,क्राइम अलर्ट जैसे आधुनिक क्राइम सीरियल है।इन कार्यक्रमों ने वर्तमान में सावधानी और जागरूकता के नाम पर शक और संदेह की ऐसी लहर ला दी है कि समाज पड़ोसी तो छोड़िए घर के सदस्यों में भी आपको हत्यारा,बलात्कारी,षड़यंत्रकारी , अपहर्ता आदि का
चेहरा दिखाई देने लगेगा।यह क्रांति तथाकथित हाय सोसायटी में ज्यादा प्रचलित हो रही है।
उपरोक्त के अलावा हमारे आसपास और भी ढेर सारी डिजिटल क्रांतियां विद्यमान है, जिनकी चर्चा समयानुकूल अगले प्रसंग में की जाएगी।
विनोद कुमार विक्की महेशखूंट बाजार खगड़़िया 851213
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