उत्तर  से  दक्षिण - अनिता  जैन

रचनाकार संख्‍या - 78


हिमालयसे  सफर  करती  गंगा ।
सागर  में  जा  मिलती  गंगा ।रास्तेमें  सब  को  पावन  करती  गंगा ।
उत्तर  से  दक्षिण  तक  बहती गंगा ।


मैले  मनको  धोती  गंगा ।अच्छा  बुरा  सब  लेती  गंगा ।
उज्वल ,निर्मल ,कर  देती  गंगा ।
मोक्षदायिनी  भारतकी  गंगा ।


प्रयाग  में जमुना ,सरस्वती ,गंगा ।
काशी  और  हरिद्वार  में  गंगा ।
दिन  रात  अनवरत  बहती  गंगा ।
सबको  खुशी  बाँटती गंगा ।


जय  हो  गंगा  मैया ।


अनिता  जैन ।


 



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