कहे नीलम - सृजन स्वामिनी आज वीणा बजाओ

सृजन स्वामिनी आज वीणा बजाओ।
नई तान छेड़ो  नया  राग  गाओ ।


तुम्हीं  ज्ञान - विज्ञान  वेदस्वरूपा
कलाधारिणी  कालिका हो अनूपा


कलुष - भेद जग  को प्रभामय  बनाओ
सृजन स्वामिनी-----------------------।


चतुर्दिश  वसंती  पवन  बह  चलेगी


खिलेंगे  सुमन  कोकिला  गा  उठेगी


शिशिर  की  विदाई  का  डोला  सजाओ।
सृजन  स्वामिनी-------------------------।


न  जाने  कहाँ  जा  रहा  है मनुज-मन
तिमिर में भटकने  लगा  है  दनुज  बन


जला  ज्ञान  का  दीप  पथ  तो  दिखाओ।
सृजन स्वामिनी--------------------------।


आप सभी स्नेहीजन को वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ


डॉ नीलम श्रीवास्तवा
29/01/2020


 



 


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